पिछली पोस्ट (शर्म के साथ कहना पड़ रहा है कि पोस्ट के लिए कोई उपयुक्त शब्द नहीं ढूंढ पा रहा हूं) में मैंने (अंग्रेज़ी में) संचय के नये संस्करण के बारे में लिखा था। मज़े की बात है कि संचय के बारे में मैंने अभी हिंदी में शायद ही कुछ लिखा हो। इस भूल को सुधारने की कोशिश में अब अगले कुछ हफ्तों में संचय के बारे में कुछ लिखने का सोचा है।
तो संचय कौन है? या संचय क्या है?
पहले सवाल का तो जवाब (अमरीकी शब्दावली में) यह है कि संचय एक सिंगल पेरेंट चाइल्ड है जिसे किसी वेलफेयर का लाभ तो नहीं मिल रहा पर जिस पर बहुत सी ज़िम्मेदारियाँ हैं।
दूसरे सवाल का जवाब यह है कि संचय सांगणिक भाषाविज्ञान (कंप्यूटेशनल लिंग्विस्टिक्स) या भाषाविज्ञान के क्षेत्र में काम कर रहे शोधकर्ताओं के लिए उपयोगी सांगणिक औजारों का एक मुक्त (मुफ्त भी कह सकते हैं) तथा ओपेन सोर्स संकलन है। पर खास तौर से यह कंप्यूटर पर भारतीय भाषाओं का उपयोग करने वाले किसी भी व्यक्ति के काम आ सकता है। इसकी एक विशेषता है कि इसमें नयी भाषाओं तथा एनकोडिंगों को आसानी से शामिल किया जा सकता है। लगभग सभी प्रमुख भारतीय भाषाएं इसमें पहले से ही शामिल हैं और संचय में उनके उपयोग के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम पर आप निर्भर नहीं है, हालांकि अगर ऑपरेटिंग सिस्टम में ऐसी कोई भी भाषा शामिल है तो उस सुविधा का भी आप उपयोग संचय में कर सकते हैं। यही नहीं, संचय का एक ही संस्करण विंडोज़ तथा लिनक्स/यूनिक्स दोनों पर काम करता है, बशर्ते आपने जे. डी. के. (जावा डेवलपमेंट किट) इंस्टॉल कर रखा हो। यहाँ तक कि आपकी भाषा का फोंट भी ऑपरेटिंग सिस्टम में इंस्टॉल होना ज़रूरी नहीं है।
संचय का वर्तमान संस्करण 0.3.0 है। इस संस्करण में पिछले संस्करण से सबसे बड़ा अंतर यह है कि अब एक ही जगह से संचय के सभी औजार इस्तेमाल किए जा सकते हैं, अलग-अलग स्क्रिप्ट का नाम याद रखने की ज़रूरत नहीं है। कुल मिला कर बारह औजार (ऐप्लीकेशंस) शामिल किए गए हैं, जो हैं:
- संचय पाठ संपादक (टैक्सट एडिटर)
- सारणी संपादक (टेबल एडिटर)
- खोज-बदल-निकाल औजार (फाइंड रिप्लेस ऐक्सट्रैक्ट टूल)
- शब्द सूची निर्माण औजार (वर्ड लिस्ट बिल्डर)
- शब्द सूची विश्लेषण औजार (वर्ड लिस्ट ऐनेलाइज़र ऐंड विज़ुअलाइज़र)
- भाषा तथा एनकोडिंग पहचान औजार (लैंग्वेज ऐंड एनकोडिंग आइडेंटिफिकेशन)
- वाक्य रचना अभिटिप्पण अंतराफलक (सिन्टैक्टिक ऐनोटेशन इंटरफेस)
- समांतर वांगमय अभिटिप्पण अंतराफलक (पैरेलल कोर्पस ऐनोटेशन इंटरफेस)
- एन-ग्राम भाषाई प्रतिरूपण (एन-ग्राम लैंग्वेज मॉडेलिंग टूल)
- संभाषण वांगमय अभिटिप्पण अंतराफलक (डिस्कोर्स ऐनोटेशन इंटरफेस)
- दस्तावेज विभाजक (फाइल स्प्लिटर)
- स्वचालित अभिटिप्पण औजार (ऑटोमैटिक ऐनोटेशन टूल)
अगर इनमें से अधिकतर का सिर-पैर ना समझ आ रहा हो तो थोड़ा इंतज़ार करें। आगे इनके बारे में अधिक जानकारी देने की कोशिश रहेगी।
शायद इतना और जोड़ देने में कोई बुराई नहीं है कि संचय पिछले कुछ सालों से इस नाचीज़ के जिद्दी संकल्प का परिणाम है, जिसमें कुछ और लोगों का भी सहयोग रहा है, चाहे थोड़ा-थोड़ा ही। उन सभी लोगों के नाम संचय के वेबस्थल पर जल्दी ही देखे जा सकेंगे। ये लगभग सभी विद्यार्थी हैं (या थे) जिन्होंने मेरे ‘मार्गदर्शन’ में किसी परियोजना – प्रॉजेक्ट – पर काम किया था या कर रहे हैं।
उम्मीद है कि संचय का इससे भी अगला संस्करण कुछ महीने में आ पाएगा और उसमें और भी अधिक औजार तथा सुविधाएं होंगी।
आज ईश्वर को मानते तो सब हैं परन्तु पहचानते बहुत कम लोग हैं हमारी रचना क्यों हुई ? हम धरती पर क्यों आए ? हमें कहाँ जाना है ? क्या सब धर्म बराबर है ? क्या ईश्वर अवतार लेता है ? मुक्ति कहाँ है ? कल्कि अवतार कौन हैं ? हमारा वास्तविक धर्म क्या था ? इत्यादि प्रश्नों का उत्तर जानने के इच्छुक हैं तो इस ब्लौग का अवश्य अध्ययन करें। http://safat.ipcblogger.com/blog सब से अन्त में अवतरित होने वाला ग्रन्थ पवित्र क़ुरआन है जो मानव के कल्याण हेतु अवतरित हुआ है, इस का सम्पूर्ण मानव जाति के लिए है। कृपया इस के सम्बन्ध में अवश्य पढ़े धन्यवाद
भई मैं तो सीधा-साधा नास्तिक हूं, मैं इस सब के बारे में कुछ खास कहने लायक हूं नहीं।
संचय भी इसके बारे में कुछ नहीं जानता।