Month: April 2018
मौसम का खान-पान
कहते हैं कि हिन्दुस्तान एक ग़रीब देश है
कि यहाँ के ढेरों लोग यूँ ही भूखे मरते है
इसमें कुछ तो सच है पर कुछ नहीें भी है
गर्मियों में आदमी को खूब भूना जाता है
बरसात में उसे जम के उबाला जाता है
ठंड में उसी की कुल्फ़ी जमाई जाती है
कई बार तीनों मौसम एक ही साथ पड़ जाते हैं
एक ही देश में ही नही, एक ही काल में भी
मौमस का खान-पान है
खान-पान का मौसम है
कौन खाए, किसे खाए, कैसे खाए –
छोटा सा सवाल है, आसान ही है
पर सवाल इतना सरल नहीं भी है
क्योंकि देसी खाए या कि परदेसी खाए
कि विदेसी खाए कि अदेसी ही खा जाए
मालिक खाए कि उसका ग़ुलाम खाए
पक्का राष्ट्रवादी खाए कि गद्दार खाए
विदेशी ग़ुलाम खाए, विदशियों का ग़ुलाम खाए
राष्ट्रवादी ग़ुलाम खाए या कि ऐंटी-नैशनल खाए
आप सिर्फ़ खाना हैं कि आप खाते हैं
या कि आप खाना हैं, जो खाते भी हैं
मौसम का सवाल है, सवाल का मौसम है
मौसम ही जवाब है, जवाब का भी मौसम है
20 के फूल हैं, 19 की माला है
बुरी नज़र वाले, तेरा मुँह काला है